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Monkey Fever: जानें कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट्स

Monkey Fever: जानें कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट्स

Monkey Fever

Monkey Fever: आज के समय में जैसे जैसे प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, वैसे ही कई तरह की बीमारियाँ भी मनुष्य को अपनी चपेट में ले रही हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही बेहद खतरनाक बीमारी के बारे में बता रहे हैं, जो सुनने में बहुत ही साधारण बीमारी लगती है। परन्तु ये एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी का नाम मंकी फीवर (Monkey Fever) है।

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बंदरों से फैलना

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Monkey Fever: जानें आखिर क्या है ?

मंकी फीवर एक वायरल बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है। मंकी फीवर को मेडिकल भाषा में क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (Kyasanur Forest Disease) कहा जाता है। यह बीमारी कर्नाटक राज्य के जंगलों में पाई जाती है।

यह बीमारी सबसे पहले वर्ष 1957 में दक्षिण भारत के कर्नाटक के क्यासानूर जंगल में एक बंदर से इंसानों में आई थी, इस वजह से इसे ‘मंकी फीवर’ कहा जाता है। यह वायरस बंदरों के शरीर में पाया जाता है और जब ये किसी इंसान को काटते हैं, तो इस बीमारी का वायरस खून के रास्ते इंसानों के शरीर में प्रवेश कर जाता है।

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वायरस का फैलना

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बीमारी के मुख्य लक्षण:

आमतौर पर इस बीमारी में शुरू के दिनों में कुछ ख़ास लक्षण दिखाई नहीं देते है। परन्तु कुछ समय के बाद व्यक्ति के शरीर में बदलाव होता है और Monkey Fever के कुछ मुख्य लक्षण सामने आने लगते हैं। ये निम्न प्रकार के होते हैं –

  • तेज बुखार
  • सिरदर्द
  • मांसपेशियों में दर्द
  • उल्टी और दस्त
  • नाक और मसूड़ों से खून आना
  • ऑर्गन फेलियर
  • इंटेस्टाइन से ब्लीडिंग आना इत्यादि।

ये कुछ सामान्य लक्षण हैं जो कुछ दिनों के अंदर ही एक रोगी के शरीर में दिखाई देते हैं। अगर रोगी अपने स्वास्थ्य के प्रति थोड़ा भी लापरवाह होता है तो Monkey Fever का वायरस ख़तरनाक तरीके से पूरे शरीर में फ़ैल जाता है।

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मंकी फीवर के लक्षण

कुछ मामलों में, रोगियों को असामान्य रूप से निम्न रक्तचाप (लो ब्लड-प्रेशर), और कम प्लेटलेट्स का भी अनुभव हो सकता है।

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Monkey Fever से बचाव:

मंकी फीवर (Kyasanur Forest Disease) से बचाव के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करें:

कीट-नाशक का प्रयोग करना: ऐसे लोग जो डेली ही जंगल में जाते हैं , ऐसे लोगों को कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए। ये कीटनाशक उन्हें जानवरों के द्वारा काटे जाने से बचाने में मदद करेंगे।

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कीटनाशक का उपयोग

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जूते और दस्ताने का उपयोग: जंगल में जाने वाले लोगों को हाथों और पैरों में दस्तानो और विशेष जूतों का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा करके वे वायरस द्वारा काटे जाने से बच सकते हैं।

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जूते और ग्लव्स का उपयोग करना

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जानवरों से दूर रहें: लोगों को जंगल में ऐसे जानवरों से दूर रहना चाहिए जिन पर कीट अपना ठिकाना बहुत जल्दी बना लेते हैं। विदेशी सैलानियों को जंगल में जानवरों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। इससे Monkey Fever का खतरा कम हो जाता है।

इस बीमारी से भारत के कर्नाटक में अब तक दो लोगों की जान जा चुकी है। इस बीमारी से होने वाली पहली मौत एक 18 वर्षीय लड़की की थी, जिसकी पहचान उजागर नहीं की गई।

वहीं दूसरी मौत उडुपी जिले में हुई जब चिक्कमगलुरु के श्रृंगेरी तालुक के एक 79 वर्षीय व्यक्ति की एक निजी अस्पताल में मौत हो गई। उनकी पहचान भी उजागर नहीं की गई।

विभिन्न न्यूज़ सोर्स के मुताबिक, राज्य भर में अब तक मंकी फीवर के करीब 50 से अधिक पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं। कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित जिलों से करीब 2,000 से अधिक नमूने एकत्र किए और इसमें केएफडी (Monkey Fever ) के कम से कम 48% का परीक्षण पॉजिटिव मिला।

यह बीमारी अभी तक कर्नाटक के जंगलों में पाई गई है। इस बीमारी का अभी तक एकमात्र इलाज वैक्सीन ही है। वैक्सीन के अलावा इसके रोकथाम के लिए कोई और तरीका मौजूद नही है। इसलिए जानवरों के संपर्क में आने से बचें और Monkey Fever से बचाव के उपायों का पालन करें।

हम आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। 


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