Asthma In Monsoon Season- मानसून का मौसम अपने साथ कई तरह की राहतें लेकर आता है – जैसे तपती गर्मी से छुटकारा, हरियाली से भरा वातावरण और ठंडी-ठंडी फुहारें। लेकिन वहीं, यह मौसम कुछ लोगों के लिए समस्या बन जाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो अस्थमा (Asthma) जैसी श्वसन संबंधी बीमारी से पीड़ित होते हैं। जहाँ एक ओर आम लोग इस मौसम का आनंद लेते हैं, वहीं अस्थमा मरीजों के लिए यह समय काफी सावधानी भरा होता है।
बारिश के मौसम में हवा की नमी, फंगल संक्रमण, धूल-मिट्टी और वायरल बीमारियों के कारण अस्थमा की समस्या गंभीर रूप ले सकती है। आज हम जानेंगे कि मानसून में Asthma क्यों बढ़ जाती है, इसके मुख्य कारण, लक्षण, और सावधानी के उपाय क्या हैं ताकि आप इस मौसम में भी सुरक्षित और स्वस्थ रह सकें
अस्थमा क्या है?
अस्थमा एक दीर्घकालिक श्वसन रोग (Chronic Respiratory Disease) है, जिसमें व्यक्ति की श्वासनलियाँ (Airways) सूज जाती हैं और सिकुड़ जाती हैं। इससे साँस लेने में कठिनाई होती है। अस्थमा के दौरान व्यक्ति को तेज़ साँस, सीने में जकड़न, खांसी और साँस लेते वक्त सीटी जैसी आवाज़ आती है। यह रोग एलर्जी, प्रदूषण, वायरल संक्रमण, मौसम में बदलाव या तनाव जैसे कारकों से ट्रिगर हो सकता है। अस्थमा का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन सही इलाज और जीवनशैली अपनाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
Asthma In Monsoon Season: मानसून में अस्थमा क्यों बढ़ती है?
1. हवा में अधिक नमी
मानसून के मौसम में हवा में नमी का स्तर बहुत बढ़ जाता है। यह अतिरिक्त नमी हवा में मौजूद एलर्जन और सूक्ष्म जीवाणुओं को बढ़ावा देती है। जब अस्थमा पीड़ित व्यक्ति ऐसी हवा में साँस लेता है, तो फेफड़ों की नलियाँ संकुचित हो जाती हैं जिससे साँस लेने में कठिनाई होती है। यह स्थिति अस्थमा का अटैक ला सकती है।
2. फंगल और बैक्टीरियल एलर्जी
बारिश के मौसम में घरों की दीवारों, छतों और बाथरूम जैसे स्थानों पर फफूंदी (Mold) और बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। यह फफूंदी हवा में सूक्ष्म कणों के रूप में फैलती है जो अस्थमा रोगियों की सांस की नलियों को प्रभावित करते हैं। इससे उन्हें एलर्जिक रिएक्शन और अस्थमा का अटैक हो सकता है।
3. वायरल संक्रमण में वृद्धि
मानसून के दौरान वायरल संक्रमण जैसे सर्दी-जुकाम, गले में खराश और फ्लू अधिक फैलते हैं। ये संक्रमण अस्थमा को और अधिक गंभीर बना सकते हैं। एक सामान्य जुकाम भी अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकता है और यदि समय पर इलाज न मिले तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
4. मौसम में अचानक बदलाव
बारिश के कारण वातावरण का तापमान बार-बार घटता-बढ़ता रहता है। कभी गर्मी, तो कभी अचानक ठंडी हवाएं। ऐसे बार-बार के बदलाव अस्थमा को ट्रिगर करते हैं। गर्म हवा से ठंडी हवा में जाने पर साँस की नलियाँ सिकुड़ सकती हैं और यह स्थिति अस्थमा के मरीज के लिए खतरनाक हो सकती है।
5. इनडोर पॉल्यूशन में बढ़ोतरी
मानसून में लगातार बारिश के कारण लोग ज़्यादा समय घर के अंदर बिताते हैं। लेकिन घर के अंदर भी एलर्जी कारक तत्व होते हैं जैसे – धूल, पालतू जानवरों के बाल, फफूंदी, कीटनाशकों का धुआँ आदि। ये इनडोर एलर्जन भी अस्थमा को बढ़ा सकते हैं और सांस लेने में कठिनाई पैदा कर सकते हैं।
मानसून में अस्थमा के लक्षण
मानसून के मौसम में अस्थमा के लक्षण अक्सर और भी गंभीर हो जाते हैं। सामान्यतः इनमें ये समस्याएं देखने को मिलती हैं:
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साँस लेने में तकलीफ – विशेष रूप से सीढ़ियाँ चढ़ते समय या थोड़ी मेहनत करने पर।
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बार-बार सूखी या बलगम वाली खांसी – खासकर रात में या सुबह उठते समय ज़्यादा होती है।
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सीने में जकड़न या भारीपन – जैसे कोई बोझ रखा हो।
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साँस लेने पर सीटी जैसी आवाज़ – जिसे “व्हीज़िंग” कहा जाता है।
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सामान्य कामों में थकावट या कमजोरी – थोड़ी देर चलने पर ही थक जाना।
अगर ये लक्षण मानसून में अधिक दिख रहे हैं, तो इन्हें हल्के में न लें। यह अस्थमा के बिगड़ते हालात की तरफ इशारा हो सकते हैं
मानसून में अस्थमा से बचाव के उपाय
1. डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएं नियमित लें
Asthma मरीजों को अपनी नियमित दवाएं और इनहेलर हमेशा साथ रखना चाहिए। दवा में लापरवाही खतरनाक हो सकती है। मानसून के मौसम में दवाओं की डोज़ बदल सकती है, इसलिए समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
2. घर को साफ़ और सूखा रखें
नमी और गंदगी फंगस और बैक्टीरिया के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करती है। इसलिए घर को खासतौर पर बाथरूम, किचन और कोनों में सूखा और साफ़ रखना जरूरी है। जरूरत हो तो एग्जॉस्ट फैन, डीह्यूमिडिफायर या सुखाने वाले उपकरणों का इस्तेमाल करें।
3. भीगने से बचें और कपड़े तुरंत बदलें
बारिश में भीगना अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है। इससे शरीर में ठंड लग सकती है और सांस की नली पर असर पड़ता है। अगर गलती से भीग जाएं तो तुरंत सूखे और गर्म कपड़े पहनें, सिर और छाती को ढक कर रखें।
4. ताजा और हल्का भोजन लें
मानसून में खाने-पीने में विशेष ध्यान रखें। बासी, तला-भुना और भारी भोजन से परहेज़ करें क्योंकि यह पाचन पर असर डाल सकता है और गैस्ट्रिक प्रॉब्लम Asthma को और बिगाड़ सकती है। मौसमी फल, उबला पानी और हरी सब्ज़ियाँ खाएं।
5. इम्यूनिटी बढ़ाएं
इम्युनिटी मजबूत होगी तो शरीर वायरस और एलर्जी से खुद को बेहतर तरीके से बचा पाएगा। इसके लिए आंवला, अदरक, तुलसी, हल्दी वाला दूध और शहद का सेवन करें। विटामिन-सी युक्त फल जैसे नींबू, संतरा आदि भी लाभदायक हैं।
6. योग और प्राणायाम करें
प्रतिदिन प्राणायाम करना अस्थमा के मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। अनुलोम-विलोम, कपालभाति और भ्रामरी जैसे योग अभ्यास फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं और सांस लेने की प्रक्रिया को मजबूत बनाते हैं। इससे दवाओं पर निर्भरता भी घट सकती है।
कब डॉक्टर से संपर्क करें?
अगर अस्थमा का दौरा बार-बार हो रहा हो या सामान्य इनहेलर से राहत नहीं मिल रही हो, तो समय गंवाए बिना डॉक्टर से परामर्श लें। कुछ संकेत जब आपको तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए:
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साँस लेने में अत्यधिक कठिनाई
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खांसी 3-4 दिन से ज्यादा बनी रहे
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इनहेलर काम न कर रहा हो
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ऑक्सीजन लेवल (SpO₂) 92% से नीचे चला जाए
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सीने में दर्द या बेहोशी जैसा लगने लगे
मानसून का मौसम जितना रोमांचक होता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है, खासकर Asthma के मरीजों के लिए। लेकिन डरने की ज़रूरत नहीं है। अगर आप सही जानकारी रखें, सतर्क रहें और सावधानियाँ अपनाएं, तो इस मौसम में भी बिना किसी परेशानी के जीवन जी सकते हैं।
सही खानपान, दवाओं का नियमित सेवन, योग, और घर की साफ़-सफाई – ये सभी उपाय मिलकर अस्थमा पर काबू पाने में आपकी मदद कर सकते हैं।
इस मानसून, अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और खुलकर साँस लें।
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