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India Developing First Dual Stealth Drone- भारत बना रहा ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन, सेकंड्स में करेगा हमला

India Developing First Dual Stealth Drone- भारत बना रहा ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन, सेकंड्स में करेगा हमला

India Developing First Dual Stealth Drone

India Developing First Dual Stealth Drone- भारत रक्षा क्षेत्र में लगातार नई-नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है। DRDO की मदद से ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारत दुनिया का पहला ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन बना रहा है, जो तकनीक के क्षेत्र में न केवल बड़ी छलांग है, बल्कि दुश्मनों के लिए भी एक बड़ी चेतावनी है।

यह अत्याधुनिक ड्रोन दुश्मन के हाई-रेजोल्यूशन राडार और इंफ्रारेड सिग्नल्स को चकमा देने के साथ ही में सेकंड्स से भी कम समय में सटीक हमला कर सकेगा।

India Developing First Dual Stealth Drone- भारत बना रहा ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन, रडार को देगा चकमा

क्या है ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन?

India developing first dual stealth drone

ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन एक ऐसा अत्याधुनिक ड्रोन (Unmanned Aerial Vehicle – UAV) है, जिसे खास तरीके से डिजाइन किया जाता है जिससे वह किसी भी रडार से बचकर हमला कर सके। यह डुअल स्टेल्थ ड्रोन एक साथ दो तरीकों से खुद को छुपा सकता है:

  1. रेडार स्टेल्थ (Radar Stealth): यह तकनीक ड्रोन को दुश्मन के अत्याधुनिक रेडार सिस्टम से छुपने में मदद करती है। इसका डिजाइन और मॉडल ऐसा होता है कि रडार वेव्स इसे पहचान नहीं पातीं।
  2. इंफ्रारेड स्टेल्थ (Infrared Stealth): यह टेक्नीक ड्रोन के इंजन की गर्मी या थर्मल सिग्नेचर को कम कर देती है, जिससे दुश्मन के थर्मल सेंसर इसे पहचान नहीं पाते।

DRDO के साथ कई अन्य कंपनियां दोनों तकनीकों का इस्तेमाल इस ड्रोन में कर रही हैं। इसकी वजह से यह दुनिया का पहला ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन बन गया है। इस टेक्नीक की मदद से यह ड्रोन पूरी तरह ‘इनविज़िबल’ यानी अदृश्य होकर दुश्मन के इलाके में प्रवेश कर सकता है और बिना देखे ही हमला भी कर सकता है।

क्या है इसकी तकनीकी विशेषताएं

  • अत्याधुनिक रडार अवॉइडेंस तकनीक: ड्रोन का डिजाइन विशेष रूप से रडार तरंगों को अवशोषित करने वाली सामग्री (Radar Absorbent Material) से तैयार किया जा रहा है। इससे ड्रोन किसी भी रडार को चकमा देने में सफल होगा।
  • थर्मल सिग्नेचर में कमी: इस लेटेस्ट ड्रोन के इंजन को इस ढंग से बनाया गया है जिससे इंजन जल्दी गर्म नहीं होता। इसका फायदा यह होता है कि ड्रोन इंफ्रारेड कैमरों से बच सकता है और बेहद सटीक हमला कर सकता है।
  • सुपरसोनिक गति: यह ड्रोन बेहद तेज़ गति से उड़ सकता है और सेकंड्स से भी कम समय में टारगेट पर हमला कर सकता है।
  • AI इनबिल्ट सिस्टम: ड्रोन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सिस्टम होगा, जो टारगेट को पहचान कर ऑटोमैटिक हमला करने में सक्षम होगा।
  • लॉन्ग रेंज मिशन: DRDO की मदद से तैयार किए जा रहे इस ड्रोन को लंबी दूरी तक उड़ान भरने के लिए बनाया जा रहा है। इससे भारत के दुश्मन देशों में यह बड़ी ही आसानी से और घंटों तक हवा में उड़कर ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है।

ड्रोन का निर्माण

विश्व के इस पहले ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन का निर्माण DRDO (Defence Research and Development Organisation) और भारत की अन्य प्राइवेट रक्षा कंपनियों के सहयोग से किया जा रहा है। यह भारत सरकार की “मेक इन इंडिया” और आत्मनिर्भर भारत की नीति का बेहतरीन उदाहरण है।

DRDO इससे पहले ही साइलेंट हंटर, रुस्तम, और गगनयान जैसी कई परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है। यह ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन पूरे विश्व में DRDO के वैज्ञानिको की काबिलियत और टेक्नोलॉजी के प्रति उनकी समझ को दर्शाता है।

भारतीय सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण

ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन भारतीय सेना की क्षमता को कई गुना बढ़ा देगा। इसके आने से सेना के पास ऐसा हथियार होगा जो:

  • बिना पायलट के दुश्मन के ठिकानों पर हमला कर सकता है।
  • अत्यधिक खुफिया मिशनों में बिना पकड़े प्रवेश कर सकता है।
  • सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी कर सकता है।
  • आतंकवाद के खिलाफ अभियानों में उपयोगी हो सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस ड्रोन के आने से भारत की डिफेंस डिटेरेंस पावर काफी मजबूत हो जाएगी।

विश्व पर पड़ेगा प्रभाव

अभी तक दुनिया के कुछ ही देश स्टेल्थ टेक्नीक वाले ड्रोन विकसित कर पाए हैं, जिनमें अमेरिका का RQ-170 Sentinel और चीन का Sharp Sword शामिल हैं। लेकिन इन दोनों में एक साथ ड्यूल स्टेल्थ (Radar + Infrared) क्षमता नहीं है। इस लिहाज से भारत का यह ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन तकनीकी दृष्टि से दुनिया में अपनी तरह का पहला और सबसे एडवांस ड्रोन होगा। यह भारत को वैश्विक रक्षा तकनीक की रेस में सबसे आगे ले जा सकता है।

भविष्य का लक्ष्य

Missile defence system of india

भारत का लक्ष्य इस ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन को अगले 2–3 वर्षों में पूरी तरह ऑपरेशनल करना है। इसके बाद DRDO की मदद से इसे भारतीय सेना, नौसेना और थलसेना के लिए अलग-अलग संस्करणों में उपलब्ध कराया जाएगा। भविष्य में इसे रोबोटिक हथियारों और स्वार्म ड्रोन टेक्नीक के साथ भी जोड़ा जा सकता है।

भारत का ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन न केवल लेटेस्ट टेक्नीक के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है, बल्कि यह देश की सुरक्षा नीति को और मजबूत करता है। यह ड्रोन भारत को भविष्य की लड़ाइयों के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

जिस तरह से भारत लगातार रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है, यह ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन हमारी ताकत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। डीआरडीओ ने यह साबित कर दिया है कि भारत अब सिर्फ रक्षा उपकरणों को खरीदने वाला नहीं, बल्कि एक बड़ा मैन्युफैक्चरर बन रहा है और भारत के हथियार पूरे विश्व में छा रहे हैं।


इमेज सोर्स: Twitter

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