Thackeray Brothers Reunion News: महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐतिहासिक पल तब देखने को मिला जब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) अध्यक्ष Raj Thackeray लगभग 20 वर्षों के बाद एक ही मंच पर साथ नज़र आए।
यह दृश्य था मुंबई के वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में आयोजित “मराठी विजय रैली” का, जहां दोनों नेताओं ने एक स्वर में राज्य सरकार द्वारा लागू की जा रही तीन भाषा नीति का विरोध किया।
Thackeray Brothers Reunion News: क्या है मामला?
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक शासनादेश (GR) जारी किया है, जिसके तहत कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी भाषा को अनिवार्य कर दिया गया है। इस निर्णय को लेकर मराठीभाषी संगठनों और नेताओं ने तीव्र आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह मराठी भाषा की गरिमा और अस्तित्व के लिए खतरा है।
ठाकरे बंधुओं का साथ आना क्यों है खास?
Uddhav Thackeray और Raj Thackeray, दोनों ही दिवंगत शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के पुत्र समान हैं। वर्ष 2006 में वैचारिक मतभेदों के कारण राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर MNS की स्थापना की थी।
#WATCH | Mumbai: Brothers, Uddhav Thackeray and Raj Thackeray share a hug as Shiv Sena (UBT) and Maharashtra Navnirman Sena (MNS) are holding a joint rally as the Maharashtra government scrapped two GRs to introduce Hindi as the third language.
(Source: Shiv Sena-UBT) pic.twitter.com/nSRrZV2cHT
— ANI (@ANI) July 5, 2025
इसके बाद से दोनों नेताओं के बीच दूरी बनी रही। परंतु अब राज्य की सांस्कृतिक अस्मिता और मराठी भाषा की रक्षा के लिए दोनों नेता फिर से एकजुट हुए हैं।
रैली में क्या बोले राज ठाकरे?
We got the Thackeray brothers reuniting before GTA 6🗣️ pic.twitter.com/idgp3hri1W
— Rajvardhan Thakur (@_RV_Thakur_) July 5, 2025
राज ठाकरे ने कहा, “जो काम बालासाहेब भी नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने कर दिखाया। उन्होंने मुझे और उद्धव को फिर से एक कर दिया।” उन्होंने राज्य सरकार पर मराठी के खिलाफ षड्यंत्र करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह हिंदी को थोपने की साजिश है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हिंदी कोई दुश्मन भाषा नहीं है, लेकिन मराठी को दबाकर किसी और भाषा को थोपा नहीं जा सकता।”
उद्धव ठाकरे का तीखा प्रहार
Uddhav Thackeray ने मंच से कहा, “हम साथ आए हैं और साथ रहेंगे। यह मराठी अस्मिता की लड़ाई है और इसे मिलकर लड़ेंगे।” उन्होंने अपने बयान में कहा कि यदि मराठी भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए गुंडागर्दी करनी पड़े, तो वे इसे करने से पीछे नहीं हटेंगे। उद्धव ने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह केवल भाषा का सवाल नहीं, बल्कि पूरे राज्य की पहचान का विषय है।
राजनीतिक संकेत भी गहरे
Thackeray brothers reunite at mega rally.
Maharashtra is bigger than any politics. Today, after 20 years, Uddhav and I have come together. What Balasaheb could not do, Fadnavis did… The work of bringing both of us together: @RajThackeray #UddhavThackeray #RajThackeray… pic.twitter.com/A3giyRp2uO— IndiaToday (@IndiaToday) July 5, 2025
इस रैली को केवल एक भाषाई विरोध प्रदर्शन नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे आने वाले बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगर पालिका) चुनाव और अन्य स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनज़र एक संभावित राजनीतिक गठबंधन की भूमिका के रूप में देखा जा रहा है। अगर उद्धव और राज साथ आते हैं तो यह मुंबई और महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा फेरबदल साबित हो सकता है।
जनता की प्रतिक्रियाएं
रैली में हजारों की संख्या में मराठी समर्थक लोग उपस्थित थे। मंच पर दोनों नेताओं को एक साथ देखकर भावनाएं भी उमड़ पड़ीं। कई कार्यकर्ताओं की आंखों में आंसू थे क्योंकि उन्होंने पहली बार बालासाहेब ठाकरे के दोनों उत्तराधिकारियों को एक मंच पर खड़ा देखा।
भविष्य की राह क्या होगी?
इस रैली ने साफ संकेत दिया है कि ठाकरे बंधु अब केवल व्यक्तिगत मतभेदों से ऊपर उठकर मराठी अस्मिता के लिए साथ आ चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह एक स्थायी गठबंधन की शुरुआत हो सकती है, जो आने वाले चुनावों में भाजपा और शिंदे गुट के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
#WATCH | On Uddhav Thackeray and Raj Thackeray coming together after years, Union Minister Chirag Paswan says, “They are not coming together for language, but for their selfish motives. They are coming together with the intention to recover their lost base. Both brothers saw that… pic.twitter.com/el8BeR6q4z
— ANI (@ANI) July 5, 2025
राज और उद्धव ठाकरे का यह पुनर्मिलन सिर्फ एक रैली नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है। भाषा और संस्कृति की रक्षा के नाम पर शुरू हुआ यह साथ आने वाला समय बताएगा कि यह गठबंधन सिर्फ मंच तक सीमित रहता है या राज्य की सत्ता में भी अपनी छाप छोड़ता है। फिलहाल इतना तय है कि ठाकरे परिवार की यह एकता मराठी जनमानस को एक नई उम्मीद जरूर दे रही है।
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