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Interesting Facts About Badrinath Temple: बद्रीनाथ मंदिर क्यों है इतना खास? जानिए इस पवित्र धाम की रहस्यमयी बातें!

Interesting Facts About Badrinath Temple: बद्रीनाथ मंदिर क्यों है इतना खास? जानिए इस पवित्र धाम की रहस्यमयी बातें!

Interesting Facts About Badrinath Temple

Interesting Facts About Badrinath Temple: बद्रीनाथ मंदिर हिन्दू धर्म के चार प्रमुख धामों में से एक है। उत्तराखंड की ऊँची पर्वतीय घाटियों में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थस्थल है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसके साथ जुड़े कई रहस्य, परंपराएं और इतिहास इसे और भी विशेष बनाते हैं।

Interesting facts about badrinath temple

चार धामों में से एक यह स्थान हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। आज हम आपको बद्रीनाथ मंदिर से जुड़े कुछ बेहद दिलचस्प और चौंकाने वाले तथ्य बताएंगे जो शायद आप नहीं जानते होंगे।

Interesting Facts About Badrinath Temple: बद्रीनाथ मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य।

1. चार धामों में प्रमुख, लेकिन साल में केवल 6 महीने खुलता है

Badrinath Temple साल भर श्रद्धालुओं के लिए खुला नहीं रहता। यह मंदिर मात्र 6 महीने – अप्रैल/मई से अक्टूबर/नवंबर तक ही खोला जाता है। बाकी के 6 महीने यहां अत्यधिक ठंड और बर्फबारी होती है, जिससे रास्ते पूरी तरह बंद हो जाते हैं।

इन महीनों में भगवान बद्रीनारायण की पूजा जोशीमठ में की जाती है, जिसे शीतकालीन बद्रीनाथ कहा जाता है। जब मंदिर बंद होता है, तो उसकी पूरी प्रक्रिया एक विशेष विधि-विधान के साथ संपन्न की जाती है, जिसमें भगवान को गर्म कपड़े, घी और तिल से सुरक्षित किया जाता है।

2. मंदिर का उल्लेख वेदों और पुराणों में भी है

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Badrinath Temple का अस्तित्व केवल आधुनिक युग की देन नहीं है, बल्कि इसके बारे में उल्लेख वेदों, पुराणों और महाकाव्यों में भी मिलता है। कहा जाता है कि यह स्थान भगवान विष्णु की तपस्या स्थली है, जहाँ उन्होंने वर्षों तक तप किया था।

उनकी सेवा में माता लक्ष्मी ने बदरी वृक्ष का रूप धारण किया और उन्हें ठंडी हवाओं और बर्फ से बचाया। तभी से इस स्थान को “बद्रीनाथ” कहा जाने लगा। यह धार्मिक मान्यता मंदिर को और भी पवित्र बनाती है।

3. आदिगुरु शंकराचार्य ने की थी पुनः स्थापना

माना जाता है कि Badrinath Temple कभी बौद्ध मठ हुआ करता था। आदि शंकराचार्य, जो 9वीं शताब्दी के महान दार्शनिक और धर्मसुधारक थे, उन्होंने इस मंदिर को फिर से एक वैष्णव तीर्थस्थल के रूप में स्थापित किया।

उन्होंने यहाँ भगवान विष्णु की मूर्ति को अलकनंदा नदी से प्राप्त कर मंदिर में विराजमान किया और पूजा-पद्धतियों को पुनर्जीवित किया। आज भी मंदिर में पूजा दक्षिण भारत के परंपरागत तरीके से की जाती है, जो शंकराचार्य की परंपरा का हिस्सा है।

4. मंदिर में जलता है “अखण्ड दीपक”

 Badrinath Mandir में स्थित गर्भगृह में एक दीपक लगातार जलता रहता है जिसे “अखण्ड ज्योति” कहा जाता है। यह दीपक सालों से बिना बुझे लगातार जल रहा है, चाहे बाहर कितनी भी बर्फबारी या ठंडी हवाएं क्यों न हों।

यह दीपक श्रद्धालुओं के लिए आस्था और चमत्कार का प्रतीक है। लोग मानते हैं कि भगवान स्वयं इस ज्योति की रक्षा करते हैं, और यह दीपक उनके आशीर्वाद का प्रतीक है।

5. अलकनंदा नदी और तप्त कुंड का चमत्कार

Badrinath Temple के पास से बहती है अलकनंदा नदी, जो गंगा की प्रमुख सहायक नदी है। इसके अलावा यहाँ एक विशेष तप्त कुंड है, जो एक प्राकृतिक गर्म पानी का स्रोत है। हैरानी की बात ये है कि बाहर का तापमान चाहे कितना भी कम हो, ये कुंड हमेशा गर्म रहता है।

श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश करने से पहले इसी कुंड में स्नान करते हैं, जिससे तन और मन दोनों शुद्ध हो जाते हैं। यह कुंड वैज्ञानिकों के लिए भी एक आश्चर्य बना हुआ है।

6. नृसिंह देवता की भविष्यवाणी

जोशीमठ में स्थित नृसिंह मंदिर की एक मूर्ति Badrinath Mandir से जुड़ी भविष्यवाणी से संबंधित है। इस मूर्ति की बाईं भुजा धीरे-धीरे पतली होती जा रही है।

मान्यता है कि जिस दिन यह भुजा पूरी तरह टूट जाएगी, उस दिन बद्रीनाथ जाने का रास्ता हमेशा के लिए बंद हो जाएगा और भगवान बद्रीनारायण की पूजा नए स्थान पर शुरू होगी। यह रहस्य आज भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है।

7. पांडवों का अंतिम सफर यहीं से शुरू हुआ

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महाभारत के अनुसार, पांडवों ने अपने जीवन के अंतिम चरण में स्वर्गारोहण के लिए बद्रीनाथ क्षेत्र से ही यात्रा शुरू की थी। माना जाता है कि उन्होंने बद्रीनाथ से आगे की कठिन पर्वतीय यात्रा करते हुए स्वर्गरोहिणी पर्वत की ओर प्रस्थान किया।

इस मार्ग को “स्वर्ग का रास्ता” कहा जाता है। यह बद्रीनाथ क्षेत्र को महाभारत से भी जोड़ता है और इसे पौराणिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है।

8. यहाँ पूजा करते हैं केरल के पुजारी

Badrinath Temple में पूजा करने वाले पुजारी ब्राह्मण होते हैं, लेकिन उत्तर भारत के नहीं, बल्कि ये केरल के नंबूदरी ब्राह्मण होते हैं। इन्हें “रावल” कहा जाता है।

ये परंपरा आदि शंकराचार्य के समय से चली आ रही है, जिन्होंने दक्षिण भारत के धर्माचार्यों को उत्तर भारत के मंदिरों में स्थापित किया था ताकि पूरे देश को एक धर्मसूत्र में जोड़ा जा सके। रावल हर वर्ष विशेष प्रक्रिया से चुना जाता है।

9. विष्णु की मूर्ति बनी है शालिग्राम से

Alakhnanda river

बद्रीनाथ मंदिर में जो भगवान विष्णु की मूर्ति है, वह सामान्य पत्थर से नहीं, बल्कि शालिग्राम शिला से बनी है। शालिग्राम एक खास प्रकार की पवित्र काली पत्थर होती है जो नेपाल की गंडकी नदी से प्राप्त होती है। यह मूर्ति ध्यान मुद्रा में स्थित है और भगवान विष्णु को योगी रूप में दर्शाती है, जो इस मंदिर की आध्यात्मिकता को और गहराई देती है।

10. मंदिर पर नहीं टिकती बर्फ

एक रहस्यमयी तथ्य यह भी है कि जब भी यहाँ भारी बर्फबारी होती है, तब भी मंदिर के मुख्य शिखर पर बर्फ नहीं टिकती। स्थानीय लोग इसे भगवान की कृपा और मंदिर की दिव्यता मानते हैं।

वैज्ञानिक इसे वायु प्रवाह और डिजाइन से जोड़ते हैं, लेकिन भक्तों के लिए यह एक चमत्कार से कम नहीं है। Badrinath Temple केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि यह भारत की आस्था, इतिहास और रहस्यों का संगम है।

यह स्थान हमें हमारी सांस्कृतिक विरासत की याद दिलाता है और यह साबित करता है कि आस्था और विश्वास किस तरह समय और विज्ञान से भी परे हो सकते हैं। यहाँ आकर सिर्फ शरीर नहीं, आत्मा भी शुद्ध हो जाती है।

Image Source: Twitter

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