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PM Modi Attends Sufi Music Festival Jahan-e-Khusrau 2025- समाप्त हो रहा है दिल्ली में आयोजित जहान ए खुसरो महोत्सव, जानें उपयोगिता और महत्त्व

PM Modi Attends Sufi Music Festival Jahan-e-Khusrau 2025- समाप्त हो रहा है दिल्ली में आयोजित जहान ए खुसरो महोत्सव, जानें उपयोगिता और महत्त्व

Sufi Music Festival Jahan-e-Khusrau 2025

Sufi Music Festival Jahan-E-Khusrau 2025- जहान-ए-खुसरो, सूफी संगीत का एक प्रतिष्ठित अंतरर्राष्ट्रीय उत्सव है, जो हर साल दिल्ली में आयोजित किया जाता है।

यह उत्सव सूफी संत हजरत अमीर खुसरो की विरासत को समर्पित है, जिन्होंने भारतीय संगीत और संस्कृति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इस महोत्सव का आयोजन 28 फरवरी से 2 मार्च तक किया जा रहा है।

Sufi Music Festival Jahan-e-Khusrau 2025- दिल्ली में आयोजित हो रहा है सूफी फेस्टिवल जहान-ए-खुसरो

Sufi music festival jahan-e-khusrau 2025

पीएम मोदी हुए शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित जहान-ए-खुसरो महोत्सव में शामिल होते हुए संगीत के प्रति अपने अनुभव और यादों को शेयर किया। यह महोत्सव सूफी संगीत और संस्कृति का एक भव्य उत्सव है जो इस साल अपनी 25वीं वर्षगांठ मना रहा है।

सुंदर नर्सरी के बीचोबीच 28 फरवरी को शुरू हुआ यह महोत्सव 2 मार्च को समाप्त हो जायेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जहान-ए-खुसरो महोत्सव पिछले 25 वर्षों से लोगों के दिलों में जगह बना रहा है।

 

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यह इसकी सबसे बड़ी सफलता है। उन्होंने इस मौके पर पूरे देश को रमजान की शुभकामनाएं दीं और आगा खान के योगदान की सराहना की, जिन्होंने सुंदर नर्सरी को एक खूबसूरत सांस्कृतिक स्थल में बदलने में अहम भूमिका निभाई।

क्या है इतिहास

रुमी फाउंडेशन द्वारा आयोजित जहान-ए-खुसरो महोत्सव की शुरुआत वर्ष 2001 में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और कलाकार मुजफ्फर अली ने की थी। सूफी म्यूजिक को समर्पित यह महोत्सव  इस वर्ष अपनी 25वीं वर्षगांठ मना रहा है।

Sufi music festival jahan-e-khusrau 2025

उत्सव का उद्देश्य

वैसे तो हर महोत्सव का अपना अलग उद्देश्य होता है लेकिन संगीत से जुड़े इस महोत्सव के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं –

  • सूफी संगीत और दर्शन को बढ़ावा देना।
  • विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा देना।
  • शांति, स‌द्भाव और प्रेम के संदेश को फैलाना।
  • हजरत अमीर खुसरो की विरासत को संरक्षित करना और बढ़ावा देना।
  • भारतीय शास्त्रीय संगीत और सूफी संगीत के बीच संबंधों को उजागर करना।

उत्सव की मुख्य विशेषताएँ:

जहान-ए-खुसरो महोत्सव विशेषताओं की बात करें तो इसने पूरे विश्व में सूफी संगीत को अलग पहचान देने का काम किया है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्न हैं –

  • अंतरर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सूफी संगीतकारों की भागीदारी।
  • सूफी नृत्य और कला प्रदर्शन।
  • सूफी दर्शन और साहित्य पर व्याख्यान और चचएिँ।
  • विभिन्न संस्कृतियों के सूफी संगीत का प्रदर्शन।
  • युवा कलाकारों को मंच प्रदान करना।

हजरत अमीर खुसरो का योगदान

हजरत अमीर खुसरो 13वीं-14वीं शताब्दी के एक महान सूफी संत, कवि, संगीतकार और विद्वान थे। उन्होंने भारतीय संगीत और संस्कृति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

उन्होंने कव्वाली, सितार और तबला जैसे संगीत वाद्ययंत्रों का आविष्कार किया। उन्होंने हिंदी और फारसी भाषाओं में कई कविताएँ और गीत लिखे, जो आज भी लोकप्रिय हैं।

पीएम मोदी ने की तारीफ

पीएम मोदी ने अमीर खुसरो की विरासत की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपने समय में भारत को सभी बड़े देशों से महान बताया था। उन्होंने संस्कृत को दुनिया की सबसे श्रेष्ठ भाषा माना और भारतीय विद्वानों को महानतम बताया।

प्रधानमंत्री ने सूफी संस्कृति पर भी बात की और कहा कि जब यह भारत आई तो यह यहां की परंपराओं से सहज रूप से जुड़ गई। इस महोत्सव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने टीईएच बाजार (The Exploration of the Handmade) का भी दौरा किया।


इस बाजार में भारत के अलग-अलग जिलों से आए पारंपरिक हस्तशिल्प, कला कृतियां और हथकरघा उद्योग से जुड़ी लघु फिल्में प्रदर्शित की गईं। उन्होंने दुकानदारों से बातचीत की और भारतीय शिल्पकारों द्वारा किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की।

गौरतलब है कि जहान-ए-खुसरो महोत्सव को 2001 में फिल्म निर्माता और कलाकार मुजफ्फर अली ने रूमी फाउंडेशन के तहत शुरू किया था। यह महोत्सव दुनिया भर के कलाकारों को एक मंच पर लाकर अमीर खुसरो की सूफी विरासत का जश्न मनाता है।

Sufi music festival jahan-e-khusrau 2025

इस साल, इसमें एक विशेष प्रस्तुति “नजर-ए-कृष्ण” दी गई जो भारत की साझा सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस महोत्सव की सराहना करते हुए कहा कि “जहान-ए-खुसरो की एक अनोखी खुशबू है। यह हिंदुस्तान की मिट्टी की खुशबू है!”

संस्कृति मंत्रालय के अनूठे प्रयास

  • सूफी संगीत और दर्शन को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करना।
  • हजरत अमीर खुसरो की विरासत को संरक्षित करने के लिये अनुसंधान और प्रकाशन को समर्थन देना।
  • सूफी संगीतकारों और कलाकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • सूफी संगीत और दर्शन पर जागरुकता बढ़ाने के लिये शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित करना।

दिल्ली में आयोजित जहान-ए-खुसरो महोत्सव से सूफी संगीत को प्रोत्साहन मिल रहा है। लोग भारत के संगीत और संस्कृति को जानने के लिए उत्सुक हैं।


इमेज सोर्स: Twitter

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