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Maha Shivratri Nirjala Vrat 2025: महाशिवरात्रि पर निर्जला व्रत कैसे करें?

Maha Shivratri Nirjala Vrat 2025: महाशिवरात्रि पर निर्जला व्रत कैसे करें?

Maha Shivratri Nirjala Vrat 2025: शिव पुराण में ये बताया गया है कि जो शिव भक्त शिवरात्रि और महाशिवरात्रि पर व्रत रखते हैं और  भगवान भोलेनाथ की भक्ति भाव के साथ पूजा अर्चना करते हैं।

वो भक्त पूरे साल भगवान शिव की पूजा का फल एक ही दिन में पा जाते हैं। इसलिए शिव कृपा की इच्छा रखने वाले शिव भक्तों को महाशिवरात्रि के दिन तो व्रत रखना बेहद जरूरी है।

Maha shivratri nirjala vrat 2025

वही ये व्रत दो तरीकों से रखा जाता है निर्जला और फलाहार लेकिन अगर आप निर्जला व्रत रखने की सोच रहे हैं तो आज हम जानेंगे कि महाशिवरात्रि पर निर्जला व्रत कैसे रखें इसकी विधि क्या हैं साथ ही ये व्रत कब खोलना चाहिए।

Maha Shivratri Nirjala Vrat 2025: इस महाशिवरात्रि निर्जला व्रत कैसे करें?

मान्यता है कि महाशिवरात्रि के व्रत की शुरुआत त्रयोदशी से ही की जाती है और इसी दिन से लोगों को शुद्ध सात्विक आहार लेना शुरू करना चाहिए। कुछ लोग तो इसी दिन से व्रत का आरंभ कर देते हैं।

इसके बाद चतुर्दशी तिथि को पूजा करके व्रत का संकल्प लेते हैं। इस दिन शिवजी को भांग ,धतूरा, गन्ना ,बेर , चंदन अर्पित करें। मां पार्वती को सुहागन महिलाएं सुहाग के प्रतीक सिंदूर,बिंदी, चूड़ियां अर्पित करें।

ध्यान रहे व्रत के एक दिन पूर्व ही सात्विक भोजन करने के पश्चात अगले दिन सूर्योदय के बाद स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प ले। और भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना करते हुए अपनी मनोकामनाएं भी ज़ाहिर करें।

साथ ही निर्जला व्रत की शुरुआत करें ध्यान रहे यह व्रत 24 घंटे का होता है यानी आप अगर निर्जल व्रत रखने जा रहे हैं तो इस 24 घंटे के दौरान आप ना तो खा सकते हैं और ना ही पानी का सेवन कर सकते हैं।

आप किसी भी तरह की तरल या खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं कर सकते। इस व्रत के दौरान व्रती के परिवार वालों को भी सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।

क्या खाकर खोले व्रत

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इस व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के पश्चात ही होता है। अगर आप शाम को व्रत खोलने की सोच रहे हैं। तो इस दौरान आप केवल फलाहार ही ग्रहण करें।

अगले दिन ही अन्न या सादे नमक से बना भोजन किया जा सकता है ध्यान रहे अगर आप किसी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से जूझ रहे हैं तो निर्जला व्रत रखने की गलती ना करें खासकर गर्भवती महिलाएं भी निर्जला व्रत बिल्कुल भी ना रखें।

महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है?

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महाशिवरात्रि एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है।

महाशिवरात्रि भगवान शिव के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था, और यह त्योहार उनके प्रेम और एकता का प्रतीक है।

इसके अलावा, महाशिवरात्रि को भगवान शिव के नृत्य के रूप में भी मनाया जाता है, जिसे “तांडव” कहा जाता है। यह नृत्य भगवान शिव की शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक है। इस दिन लोग विभिन्न तरीकों से भगवान शिव की पूजा और आराधना करते हैं।

वे उपवास रखते हैं, पूजा करते हैं, और भगवान शिव को भोग और प्रसाद चढ़ाते हैं। इसके अलावा, लोग महाशिवरात्रि के दिन ध्यान और प्रार्थना भी करते हैं, ताकि वे अपने आत्मा को शुद्ध कर सकें और भगवान शिव के साथ जुड़ सकें।

महाशिवरात्रि का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि ये एक सांस्कृतिक और सामाजिक त्योहार भी है। ये त्योहार लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए प्रेरित करता है।

इसके अलावा, महाशिवरात्रि के दिन लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर पूजा और आराधना करते हैं, जो एक सुंदर और आनंददायक अनुभव होता है।

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