Tiger Parenting Pros and Cons- भारत सहित पूरे विश्व में छोटे बच्चों के साथ साथ युवाओं के प्रति माता पिता की जिम्मेदारी पहले की तुलना में काफी बढ़ गई है।
बढ़ते टेक्नोलॉजी के प्रयोग से पेरेंटिंग के नए तरीके बताए जा रहे हैं जिनसे माता पिता अपने बच्चों की सही देखभाल कर सकें। इन्हीं में से एक है टाइगर पेरेंटिंग।
टाइगर पेरेंटिंग एक ऐसा तरीका है जिसमें माता पिता बच्चों में कड़े अनुशासन, पढ़ाई और करियर में आगे बढ़ने पर ज्यादा जोर देते हैं। सरल शब्दों में कहें तो पेरेंटिंग का यह तरीका काफी कठोर माना जाता है। इस पोस्ट में हम टाइगर पेरेंटिंग की विशेषताओं, जरूरतों और उसके बढ़ते प्रभावों को जानने का प्रयास करेंगे।
Tiger Parenting Pros and Cons- क्या टाइगर पेरेंटिंग से हो रहा है बच्चों का नुकसान
टाइगर पेरेंटिंग की शुरुआत की बात की जाय तो यह भारत में वेस्टर्न कल्चर से आई है। 5वीं शताब्दी के दार्शनिक कन्फ्यूशियस के समय में बच्चों के पालन पोषण के लिए इस तरह की शिक्षा का चलन शुरू हुआ था।
कन्फ्यूशियस के समय से लेकर अभी तक की जेनरेशन और पेरेंटिंग के तरीकों में काफी बदलाव भी आ चुका है। इसीलिए पहले जहां टाइगर पेरेंटिंग को समाज में अच्छा माना जाता था तो वर्तमान में कई जगहों पर इसे काफी कठोर समझा जाने लगा है।
टाइगर पेरेंटिंग में माता पिता का व्यवहार अपने बच्चों के प्रति कुछ कठोर होता है जिससे बच्चे अपनी ज़िंदगी के फैसलों को सोच समझ कर लें।
परन्तु आज के टेक्नोलॉजी के समय में इस तरह की पेरेंटिंग आज के Gen Z बच्चों को कठोर लगती है और वे इसके पीछे के माता पिता के कुछ सही कारणों को नहीं समझ पाते।
वर्तमान समय के बच्चों को टाइगर पेरेंटिंग भले ही कठोर लगती हो लेकिन इसकी कुछ विशेषताएं भी हैं जो इसे अन्य पेरेंटिंग के तरीकों से अलग बनाती हैं। ये दिखने में कठोर लगती हैं लेकिन जिंदगी में कारगर भी साबित होती हैं।
टाइगर पेरेंटिंग की विशेषताएं
- जरूरत से ज्यादा उम्मीद – इस तरीके में माता पिता को अपने बच्चों से बहुत ज्यादा उम्मीदें होती हैं और वे चाहते हैं कि जो हम अपनी जिंदगी में नहीं कर पाये, उस काम को उनके बच्चें करें।
- सीमित समय – टाइगर पेरेंटिंग में माता पिता अपने बच्चों के समय को खुद ही सेट करते हैं। दोस्तों के साथ घूमने, पढ़ाई के लिए टाइम टेबल बनाने और हर छोटे बड़े काम के लिए फ़िक्स टाइम मैनेज करते हैं।
- धमकी देना – यह इस पेरेंटिंग की खूबी भी है और कमी भी। इसमें पेरेंट्स बच्चों के गलत व्यवहार पर उन्हें हाथों से मारने की धमकी भी देते हैं। कभी कभी तो बच्चों पर हाथ उठा भी दिया जाता है।
- पब्लिक में डांटना – बच्चों की गलतियों को सुधारने के लिए माता पिता कभी कभी अपने बच्चों को रिश्तेदारों के सामने और पब्लिक में डांट भी देते हैं। इससे बच्चे की इंसल्ट होती है और वह अपनी आदतों को सुधारता है।
हालांकि आज के समय में इनमें से अधिकांश बातों का कोई असर बच्चों पर नहीं होता है। इसकी एक मुख्य वजह है माता पिता द्वारा अपने बच्चों से जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं करना।
आज के बदलते समय में जहां बच्चों का स्वभाव बदला है तो पेरेंट्स को भी उनकी भावनाओं और व्यवहार के अनुसार बदलने की जरूरत है। बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं डालना चाहिए।
फिर वह चाहे पढ़ाई करके अच्छे नंबर लाना हो या खेलकूद में बढ़िया प्रदर्शन करना हो। टाइगर पेरेंटिंग में जब बच्चा माता पिता की उम्मीदों के अनुसार तय किए गए लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाता तो पेरेंट्स बच्चों को काफी कुछ भला बुरा कह देते हैं।
इसका नतीजा यह होता है कि बच्चे के अंदर निराशा उत्पन्न हो जाती है और उसका पढ़ाई, खेलकूद या किसी भी तरह की एक्टिविटी में मन नहीं लगता। ऐसे में पेरेंट्स को बच्चों को बहुत ज्यादा डांटने की बजाय उनसे प्यार से बात करना चाहिए और उनका उत्साह बढ़ाना चाहिए।
एक अच्छी पेरेंटिंग वहीं मानी जाती है जिसमें बच्चा अपने मन की बात, अपने सपने, अपनी एक्टिविटीज को माता पिता के साथ बिना डरे हुए शेयर कर सके।
आज के समय में यदि पेरेंट्स बच्चों को डराते हैं, उन पर चिल्लाते हैं या उन्हें दोस्तों से मिलने से रोकते हैं तो इससे बच्चे के मन पर बुरा असर पड़ सकता है और आगे चलकर आपका बच्चा आपसे अपनी बात कहने से डर सकता है या बात को छुपा भी सकता है।
टाइगर पेरेंटिंग में आज के समय की टेक्नोलॉजी से रिलेटेड सॉफ्ट स्किल को ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती बल्कि उन्हें अपने बच्चों को सिर्फ डॉक्टर, इंजीनियर और अन्य जॉब करने और अच्छे नंबर लाने पर जोर दिया जाता है।
टाइगर पेरेंटिंग में सबसे आगे रहने पर ज्यादा फोकस किया जाता है जोकि आज के समय के हिसाब से गलत है। अलग अलग बच्चों में अलग तरह की स्किल होती है और उन स्किल को संवारने का काम माता पिता की जिम्मेदारी होती है।
इसीलिए आज के टेक्नोलॉजी वाले युग में टाइगर पेरेंटिंग बच्चों के लिए ज्यादा सही नहीं मानी जाती। इस तरह की पेरेंटिंग के काफी दुष्प्रभाव भी होते हैं।
टाइगर पेरेंटिंग से बच्चों पर पढ़ने वाले प्रभाव
- टाइगर पेरेंटिंग के कारण बच्चों में इमोशनल डिसबैलेंस हो सकता है, जिसकी वजह से वे बहुत गुस्सा कर सकता हैं या उन्हें स्मोकिंग, ड्रिंकिंग की बुरी लत लग सकती है।
- जरूरत से ज्यादा डिसिप्लिन से बच्चों में डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।
- माता पिता की उम्मीदों के मुताबिक काम करने से बच्चों की खुद की क्रिएटिविटी बर्बाद हो जाती है। जिसका नतीजा बच्चों को बाद में भुगतना पड़ता है।
- टाइगर पेरेंटिंग में कड़े अनुशासन और टाइम बाउंडेशन की वजह से बच्चों के अंदर कई प्रकार की बीमारियां भी हो सकती हैं।
इसके अलावा टाइगर पेरेंटिंग बच्चों के मेंटल हेल्थ पर भी असर डालती है। इससे बच्चे का मेंटल डेवलेपमेंट रुक सकता है। इसके कुछ लक्षण बच्चों में नजर आ सकते हैं –
- बच्चों में टेंशन, डिप्रेशन और कॉन्फिडेंस की कमी दिखाई देने लगती है।
- बच्चे कई तरह की मानसिक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।
- बच्चों के अंदर डिसीजन मेकिंग एबिलिटी कम होने लगती है।
- टाइगर पेरेंटिंग से बच्चे दूसरे लोगों से मिलने में डरते हैं और जल्दी घुल मिल भी नहीं पाते।
- ऐसे बच्चे माता पिता की उम्मीदों को पूरा करने के चक्कर में अधिक गलतियां करते हैं।
- बच्चों के अंदर एक डर की भावना और अकेलापन होता है, जिसे वह किसी से भी शेयर करने से हिचकिचाते हैं।
- बच्चों के अंदर गुस्सा, चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं।
- ऐसे बच्चों का मन किसी भी काम के प्रति फ़ोकस्ड नहीं हो पाता, क्योंकि उन्हें शुरू से ऐसी परवरिश नहीं मिलती।
ऐसा बिल्कुल नहीं है कि टाइगर पेरेंटिंग के सिर्फ दुष्प्रभाव ही हैं। अगर इसे सही तरीके से अपनाया जाय तो इसके कई फायदे भी होते हैं।
टाइगर पेरेंटिंग के कुछ महत्वपूर्ण फायदे
1. माता पिता यदि अपनी इच्छा थोपने की बजाय बच्चे की रुचि के अनुसार बच्चे की पढ़ाई पर ध्यान दें तो ऐसे बच्चे पढ़ाई में काफी अच्छे होते हैं। साथ ही बच्चों को पढ़ाई में माता पिता का भी पूरा सहयोग मिलता है।
2. अनुशासन का हम सभी के जीवन में अहम योगदान है। ऐसे में यदि पैरेंट्स बच्चों में अनुशासन का विकास नहीं करेंगे तो आगे चलकर ये बच्चे अपने लक्ष्यों से भटक सकते हैं। इसलिए हर माता पिता को बच्चों को अनुशासन का महत्व जरूर सिखाना चाहिए। बचपन का अनुशासन युवावस्था में आगे बढ़ने में काफी मदद करता है।
3. अपने गोल को बच्चों पर थोपने की बजाय बच्चों के लिए उनकी स्किल के अनुसार गोल बनवाने चाहिए और माता पिता को बच्चों के साथ मिलकर गोल को पूरा करने में मदद करनी चाहिए।
4. चूंकि टाइगर पेरेंटिंग में बच्चों को काफी अनुशासन में रखने की कोशिश की जाती है। ऐसे में डिसिप्लिन के साथ साथ बच्चों की क्रिएटिविटी को भी बढ़ाना चाहिए।
5. टाइगर पेरेंटिंग में बच्चों के अंदर जिम्मेदारी की भावना सीखाने की पूरी कोशिश की जाती है। इसके लिए माता पिता को बच्चों के साथ बातचीत और प्यार से पेश आना चाहिए।
आज के समय में टाइगर पेरेंटिंग को पूरी तरह से नहीं अपनाया जा सकता। इसके कुछ अच्छे तो कुछ बुरे प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में टेक्नोलॉजी वाले समय में पैरेंट्स को टाइगर पेरेंटिंग से बचना चाहिए।
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टाइगर पेरेंटिंग से बचाव
प्रेशर ना डालना
टाइगर पेरेंटिंग से बचने के लिए सबसे पहले अपने सपनों, उम्मीदों का प्रेशर अपने बच्चों पर नहीं डालना चाहिए। बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए, क्योंकि आज के समय में बच्चों पर डांट और मारपीट का असर नहीं हो रहा है।
गलतियों पर समझाना
जब भी आपका बच्चा कोई गलती करे तो उसे मारने पीटने या धमकाने की बजाय उससे प्यार से पेश आना चाहिए। बच्चों को प्यार से बहुत ही आसानी से उस गलती को दुबारा ना करने के लिए समझायें। इससे आपके और आपके बच्चे के बीच तालमेल अच्छा होगा।
बच्चों को समय देना
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास समय नहीं है। ऐसे में बच्चे टीवी, मोबाइल को दिन भर देखते रहते हैं। ऐसे में माता पिता को चाहिए कि वे बच्चों के साथ एक टाइम सेट करके उन्हें पर्याप्त समय दें। इसके लिए पैरेंट्स बच्चों के साथ कई तरह की एक्टिविटी को कर सकते हैं। उनके साथ खेल सकते हैं।
इंसल्ट करने से बचें और प्रोत्साहित करें
अपने बच्चों को पब्लिक में ना डांटे। जब भी बात करनी हो तो बच्चों के साथ शांत तरीके से बात करें और आराम से समझाएं। इससे बच्चे का कॉन्फिडेंस और आपसी लगाव बढ़ता है। साथ ही हर छोटी छोटी एक्टिविटी पर आप बच्चों को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
कई रिसर्च में यह पता चला है कि टाइगर पेरेंटिंग की वजह से बच्चों में टेंशन, डिप्रेशन बढ़ रहा है। ऐसे में माता पिता को भी बच्चों के पालन पोषण के लिए अन्य तरीकों को अपनाने पर ध्यान देना चाहिए।
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