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Unknown Facts About Mahakaleshwar Temple: उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़े हैरान कर देने वाले रहस्य।

Unknown Facts About Mahakaleshwar Temple: उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़े हैरान कर देने वाले रहस्य।

Unknown Facts About Mahakaleshwar Temple

Unknown Facts About Mahakaleshwar Temple: भारत के मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है पौराणिक ग्रंथों में इस मंदिर का वर्णन काफी सुंदर तरीके से मिलता है।

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यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए पूरे साल भक्तों का सैलाब होता है लेकिन क्या आपको पता है कि इस मंदिर के कुछ अनजाने रहस्य हैं जिनके बारे में कोई भी नहीं जानता होगा। चलिए आज हम आपको महाकालेश्वर मंदिर के अनसुने रहस्यों के बारे में बताएंगे।

Unknown Facts About Mahakaleshwar Temple: महाकालेश्वर मंदिर के अनसुने रहस्य।

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महाकाल नाम का रहस्य

आमतौर पर माना जाता है कि महाकाल का संबंध केवल मृत्यु से है परंतु यह पूरी तरह से सच नहीं है काल के दो अर्थ होते हैं एक “समय” और दूसरा “मृत्यु”। काल को महाकाल इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि प्राचीन समय में यही से पूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित हुआ था। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकालेश्वर रखा गया।

दूसरा कारण भी काल सही जुड़ा हुआ है दरअसल, माना जाता है कि महाकाल का शिवलिंग तब प्रकट हुआ जब महादेव को एक राक्षस दूषण का अंत करना था भगवान शिव उस राक्षस का काल बनकर आये. इसके बाद अवंती नगरी जिसे अब उज्जैन के नाम से जाना जाता है वहां के वासियों के आग्रह पर महाकाल वहीं उपस्थित हो गए वे समय यानी काल के अंत तक यही रहेंगे इसलिए भी इन्हें महाकाल कहा जाता है।

मंदिर में रात बिताने पर पाबंद।

आपको जानकर हैरानी होगी कि उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में रात बिताना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। कहा जाता है उज्जैन का केवल एक ही राजा है और वह है महाकाल बाबा। विक्रमादित्य के शासन के बाद यहां कोई भी राजा या मंत्री रात में नहीं रुक सकता। मान्यताओं के अनुसार जिसने भी महाकालेश्वर मंदिर पर रात बिताने का प्रयास किया वह आज तक जिंदा नहीं लौट पाया है।

भस्म आरती का रहस्य।

जितना प्राचीन भगवान महाकाल का मंदिर है उतना ही रहस्यमई यहां होने वाली भस्म आरती भी है। प्राचीन काल में राजा चंद्रसेन शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे। जब राजा रिपुदमन ने उज्जैन पर आक्रमण किया और राक्षस दूषण के जरिए वहां प्रजा को प्रताड़ित किया।

तब प्रजा ने मदद के लिए भगवान शिव से गुहार लगाई थी। प्रजा की गुहार भगवान शिव ने सुनी और स्वयं राक्षस भूषण का वध किया. सिर्फ इतना ही नहीं भगवान शिव ने दूषण की राख से अपना श्रृंगार किया और वह हमेशा के लिए यहां बस गए तो इस तरह से भस्म आरती की शुरुआत हुई।

चिता भस्म से की जाती थी आरती।

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यहां पर भगवान शिव के शिवलिंग पर चिता की ताजी भस्म से आरती की जाती थी और इसी से उनका श्रृंगार भी होता था। एक कथित कथा के अनुसार प्राचीन काल में प्रतिदिन एक मुर्दे की राख से भस्म आरती की जाती थी।

परंतु एक बार उज्जैन के शमशान में कोई भी शव नहीं मिलने के कारण उस समय पुजारी ने अपने ही पुत्र की बलि देकर उसकी राख से भस्म आरती की जिससे भगवान महाकालेश्वर अत्यधिक प्रसन्न हुए।

और उस पुजारी के पुत्र को जीवन दान देते हुए कहा “आज से उनकी आरती कपिला गाय के गोबर से बने कंडो से की जाए”। तब से लेकर आज तक यहां कपिला गाय के गोबर के कंडे, शमी, पीपल इत्यादि की लकड़ियों को जलाकर तैयार किए गए भस्म से आरती की जाती है।

श्री नाग चंदेश्वर मंदिर

महाकालेश्वर मंदिर के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे लेकिन आपमें से शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो श्रीनाथ चंदेश्वर मंदिर के बारे में जानता होगा वर्तमान में जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है वह तीन खंडो में विभाजित है।

निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य खंड में ओम कालेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्रीनाथ चंदेश्वर मंदिर स्थित है। इस मंदिर में नागराज तक्षक के प्रतिमा के ऊपर भगवान शिव पूरे परिवार समेत विराजमान है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर के द्वार साल में केवल एक बार ही नाग पंचमी के दिन खोले जाते हैं।

दक्षिण मुखी शिवलिंग का रहस्य

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इस समय पूरे संसार के सभी शिव मंदिरों में स्थापित शिव लिंग और अन्य ज्योतिर्लिंग की जलाधारी उत्तर दिशा की ओर है। किंतु महाकालेश्वर ही ऐसा ज्योतिर्लिंग है। जिसकी जलाधारी दक्षिण दिशा की ओर है इसलिए यह दक्षिण मुख्य महाकाल नाम से भी जाना जाता है।

स्वयंभू है ये ज्योतिर्लिंग।

बारह ज्योतिर्लिंगों में महाकाल ही एकमात्र सर्वोत्तम शिवलिंग है अर्थात् आकाश में तारक शिवलिंग, पाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग और पृथ्वी पर महाकाल शिवलिंग है स्वयंभू शिवलिंग है। विश्व भर में काल की नगरी कहे जाने वाले उज्जैन में मान्यता है कि महाकाल ही समय को लगातार चलाते हैं और काल भैरव काल का नाश करते हैं।

महाकाल और मदिरा का रहस्य।

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मंदिर के गर्भ ग्रह में एक गुफा है जो महाकाल मंदिर से जुड़ी हुई है जहां भैरव बाबा का मंदिर स्थित है काल भैरव का मंदिर पूरे देश का ही नहीं बल्कि दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान को मदिरा पिलाया जाता है। जहां पूरी दुनिया में मंदिरों के आसपास से शराब की दुकान हटा दी जाती हैं।

वहीं दूसरी ओर महाकाल के मंदिर परिषर से लेकर रास्ते तक में बहुत सारी शराब की दुकान लगाई गई है। यहां प्रसाद बेचने वाले भी शराब अपने पास रखते हैं। आज तक भगवान शिव को जितने भी मदिरा पिलाई जाती है वह कहां गायब हो जाती है ये आज भी रहस्य बना हुआ है।

Image: Wikipedia

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