Unknown Mysteries Of Konark Sun Temple: हमारे भारत में ऐसे सैकड़ो प्राचीन भव्य मंदिर मौजूद है जो अपने बेमिसाल स्ट्रक्चर और खूबसूरती से आज की मॉडर्न इंजीनियरिंग और साइंस को भी हैरान करके रख देते हैं और उन्हीं में से एक है, कोणार्क सूर्य मंदिर।
कोणार्क सूर्य मंदिर को भारत के सबसे रहस्यमई मंदिरों में शामिल किया जाता है। दरअसल, इस मंदिर से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं जिनके जवाबों की खोज अभी भी की जा रही है।
बताया जाता है कि किसी समय इस मंदिर के शीर्ष पर एक खास किस्म की विशाल आकार चुंबक लगी होती थी जिससे मंदिर में मौजूद सूर्य देव की मूर्ति हर समय हवा में लटकी रहती थी।
ऐसे में सवाल उठता है कि आज से सैकड़ो साल पहले इस मंदिर को आखिर किस तरह से बनाया गया होगा और क्या वजह है कि इस मंदिर का मुख्य द्वार पिछले 122 सालों से बंद पड़ा हुआ है।
Unknown Mysteries Of Konark Sun Temple: कोणार्क सूर्य मंदिर का भव्य इतिहास।
कोणार्क मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य में पूरी शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर कोणार्क नाम के एक शहर के अंदर स्थित है बताया जाता है कि इस मंदिर को पूर्वी गंग वंश के राजा नरसिंह देव प्रथम के द्वारा सन 1250 ई के आसपास बनवाया गया था।
राजा नरसिंह देव ने यह मंदिर भगवान सूर्य देव को समर्पित करके बनवाया था जिसमें सूर्य देव की एक विशाल और भव्य मूर्ति स्थापित की गई थी।
मंदिर की अद्भुत संरचना
कोणार्क सूर्य मंदिर की संरचना भी सूर्य देव के रथ की तरह की गई है। दरअसल, हिंदू धर्म में सूर्य देव को पूरे ब्रह्मांड के जीवन का स्रोत कहा जाता है और माना जाता है कि सूर्य देव आकाश में एक रथ पर सवार होकर यात्रा करते हैं जिसको सात बेहद ताकतवर घोड़े खींचते हैं। इसी काल्पनिक रथ से प्रेरित होकर इस मंदिर को बनाया गया है जिसके चलते यह सूर्य देव के रथ के जैसा ही नजर आता है।
मंदिर में लगे 12 पहिए
इस मंदिर के दोनों तरफ पत्थरों के 12 जोड़ी पहिए लगाए गए हैं साथ ही सात घोड़े इस मंदिर के आगे की तरफ इस इस तरह से बनाए गए हैं कि उन्हें देखकर लगता है मानो वह मंदिर को खींचकर आगे ले जा रहे हो।
मंदिर के दोनों तरफ बने यह पहिए सुंदर होने के साथ-साथ प्राचीन भारतीय कला को भी दर्शाते हैं। माना जाता है यह 12 पहिए साल के 12 महीनो को दर्शाते हैं और इन पहियों के मदद से समय का सही-सही अंदाजा लगाया जा सकता है।
नक्काशी और कला का बेहतरीन उदाहरण
इतना ही नहीं कोणार्क सूर्य मंदिर के दीवारों पर नक्काशी और कल का अद्भुत उदाहरण देखने को मिलता है और यहां बनाए गए हर एक मूर्ति का अपना एक अलग महत्व है।
इसके अलावा इस मंदिर का रुख भी इस तरह से है कि सुबह की पहली किरण सिद्ध मंदिर के प्रवेश द्वार पर पड़ती है जो देखने में वाकई एक अद्भुत दृश्य नजर आता है।
मंदिर में लगा विशालकाय चुंबक
वैसे तो इस मंदिर में बहुत सी ऐसी चीज हैं जो उसे बेहद ही खास बनाते हैं मगर इस मंदिर में लगा विशालकाय चुंबक सबसे मशहूर है जो इस मंदिर के शीर्ष पर लगा होता था।
हालांकि यह बात ऐतिहासिक रूप से आज तक साबित नहीं हो पाया है लेकिन फिर भी बहुत से वैज्ञानिक ये मानते हैं कि इस मंदिर के अंदर लोड स्टोन नाम का 52 टन के वजन का पत्थर पाया गया था।
जो की एक प्राकृतिक चुंबक के रूप में जाना जाता था। माना जाता है इस विशाल चुंबक के वजह से ही मंदिर के अंदर स्थापित की गई भगवान सूर्य देव की मूर्ति हमेशा हवा में लटकी रहती थी और मूर्ति का इस तरह हवा में लटके रहना अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं था।
विशालकाय चुंबक से जुडी विभिन्न कहानियां
आज इस चुंबक के साथ क्या हुआ और यह चुंबक कहां पर है इस बारे में अलग-अलग लोग अलग-अलग कहानी बताते हैं। जिसमें सबसे प्रसिद्ध कहानी यह है कि शुरुआत में यह मंदिर समुद्र के किनारे पर बसा हुआ करता था लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे समुद्र का पानी कम होता गया और यह मंदिर किनारे से कई किलोमीटर दूर हो गया।
कहते हैं कि कोणार्क सूर्य मंदिर में लगाया गया वह चुंबकीय लोड स्टोन इतना मजबूत था कि उसकी वजह से समुद्र में गुजरने वाले पानी के जहाज का कंपास तक काम करना बंद कर देता था और सारे जहाज वहां से गुजरते हुए अपनी दिशा भटक जाते थे।
कहा जाता है कि पुर्तगीज नाविक अपने जहाजों को बचाने के लिए इस मैग्नेट और भगवान सूर्य देव की प्रतिमा को मंदिर से निकाल कर अपने साथ ले गए थे और इस मंदिर से चुंबक का निकालना है इसके गिरने की असल वजह बन गई।
प्रसिद्ध कोणार्क शहर
माना जाता है कि प्राचीन समय में कोणार्क एक मशहूर और प्रसिद्ध शहर हुआ करता था लेकिन 16वीं शताब्दी के दौरान जब इस मंदिर से सूर्य देव की मूर्ति हटा दी गई। तब इस मंदिर में पूजा होना पूरी तरह से बंद हो गया जिसके चलते तीर्थ यात्रियों ने भी इस मंदिर में आना बंद कर दिया।
और देखते ही देखते नगर पूरी तरह से वीरान होकर जंगल के रूप में बदल गया फिर कई सदियों बाद जब इस मंदिर को खोजा गया तब इसकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो चुके थे और इसके कई हिस्से पूरी तरह ध्वस्त होकर ढह गए थे।
मंदिर के तीन मंडप
माना जाता है कि कोणार्क सूर्य मंदिर में तीन मंडप हुआ करते थे जिसमें से दो मंडप पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं और आज के समय की बात करें तो इस मंदिर का केवल एक ही मंडप बाकी रह गया है जिसे मंदिर का प्रधान मंडप कहा जाता है।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस मंडप के अंदर जाने की सभी रास्ते आज आज से 122 साल पहले पूरी तरह से बंद कर दिए गए थे जो आज भी उसी तरह से बंद पड़े हुए हैं। अब आखिर में सवाल यह आता है कि आखिर इतना समय भी जाने के बाद इस मंदिर का दरवाजा आज तक क्यों नहीं खोला गया।
122 सालों से बंद दरवाजे का रहस्य
हालांकि दरवाजे के बंद होने को लेकर तरह-तरह के अंधविश्वासी बातें भी करते हैं हालांकि इसको बंद करने के पीछे यह तर्क दिया जाता है की 19वीं शताब्दी का अंत होते-होते इस मंदिर आखरी मंडप भी कमजोर होकर गिरने की कगार पर पहुंच गया था।
इसको गिरने से बचने के लिए साल 1903 में उस समय के गवर्नर जॉन वुडबर्न ने मंदिर के अंदर रेत भरवा कर मंदिर के सभी दरवाजों को सील कर दिया। इसके बाद न जाने कितनी बार इस मंदिर के मुख्य दरवाजे को खोलने की बात की गई।
लेकिन हर बार अलग-अलग कारणों से इस दरवाजे को खोलने से टालने जाता रहा। यहां तक की आज 122 साल बाद भी यह दरवाजा उसी तरह बंद पड़ा हुआ है।
ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या इस दरवाजे को सच में मंदिर को गिरने से बचने के लिए बंद किया गया था या फिर इसके बंद किए जाने के पीछे कोई और भी बड़ा रहस्य छुपा है।
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