Significance Of Nine Forms Of Maa Durga: आज से नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो गया है, जो शक्ति और भक्ति भाव का प्रतीक है। नवरात्रि का पावन पर्व देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की शक्ति और महिमा को समर्पित है ऐसे में हर दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की एक-एक करके अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है जो हमें जीवन में विभिन्न पहलुओं में विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देती है।
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व शक्ति की देवी के नौ अवतारों को समर्पित है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। आज हम आपको देवी दुर्गा के नौ रूप और उनके महत्व के बारे में बताएंगे।
Significance Of Nine Forms Of Maa Durga: माँ दुर्गा के नौ रूप और उनके महत्व
आइए जानते हैं माँ दुर्गा के नौ रूप और उनके महत्व के बारे में।
1. शैलपुत्री (Shailaputri)
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैलपुत्री का अर्थ है “पर्वत की पुत्री”। वह हिमालय की बेटी और भगवान शिव की पत्नी पार्वती के रूप में पूजी जाती हैं। शैलपुत्री का पूजन करने से जीवन में स्थिरता और मजबूती आती है। यह रूप भक्तों को धैर्य और संयम का पाठ सिखाता है।
2.ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini)
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह रूप देवी पार्वती का है जब उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। ब्रह्मचारिणी का पूजन करने से आत्म-संयम और तप की प्राप्ति होती है। यह भक्तों को साधना और ध्यान का महत्व सिखाता है।
3.चंद्रघंटा (Chandraghanta)
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। उनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र होता है, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। चंद्रघंटा का पूजन करने से साहस और वीरता की प्राप्ति होती है। यह रूप भक्तों को डर और बुराई से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
4. कूष्मांडा (Kushmanda)
चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि जब ब्रह्मांड का अस्तित्व नहीं था, तब उन्होंने अपनी हंसी से ब्रह्मांड की रचना की थी। कूष्मांडा का पूजन करने से स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है। यह रूप भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा और रचनात्मकता का पाठ सिखाता है।
5. स्कंदमाता (Skandamata)
पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। वह भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। स्कंदमाता का पूजन करने से संतान सुख और परिवारिक समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह रूप भक्तों को माता-पिता के प्रति कर्तव्य का महत्व सिखाता है।
6.कात्यायनी (Katyayani)
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। ऋषि कात्यायन ने इनकी तपस्या की थी, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। कात्यायनी का पूजन करने से विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है। यह रूप भक्तों को प्रेम और विवाह में सफलता का आशीर्वाद देता है।
7.कालरात्रि (Kalaratri)
सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। उनका रंग काला है और यह रूप बहुत उग्र माना जाता है। कालरात्रि का पूजन करने से भय और नकारात्मकता का नाश होता है। यह रूप भक्तों को सुरक्षा और साहस प्रदान करता है।
8. महागौरी (Mahagauri)
आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। उनकी त्वचा का रंग बहुत गोरा है, इसलिए उन्हें महागौरी कहा जाता है। महागौरी का पूजन करने से पवित्रता और सौंदर्य की प्राप्ति होती है। यह रूप भक्तों को आत्म-शुद्धि और शांति का पाठ सिखाता है।
9. सिद्धिदात्री (Siddhidatri)
नवमीं दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह देवी सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। सिद्धिदात्री का पूजन करने से आध्यात्मिक और भौतिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। यह रूप भक्तों को ज्ञान और आत्मबोध का मार्ग दिखाता है।
नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के इन नौ रूपों की पूजा करने से हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं में संतुलन और सफलता प्राप्त होती है। हर रूप का अपना विशेष महत्व और आशीर्वाद है, जो हमें कठिनाइयों का सामना करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने में मदद करता है। इस नवरात्रि, देवी के नौ रूपों की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को समृद्ध बनाएं।
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