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10 Historical Forts In India: भारत के 10 सबसे बड़े और ऐतिहासिक क़िले
10 Historical Forts In India भारत देश का इतिहास बहुत ही समृद्ध और प्राचीन है और यहां कई महान योद्धाओं ने न सिर्फ जन्म लिया बल्कि बड़े-बड़े किलों का निर्माण बेहद खूबसूरती के साथ करवाया। इनमें से कई क़िले खंडहर हो चुके हैं लेकिन इनमें से कुछ ऐसे भी है जो आज भी शान के साथ कई सालों से उसी खूबसूरती से खड़े हैं।
तो चलिए आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हम भारत के ऐसे 10 बड़े ऐतिहासिक किले के बारे में बताएंगे जिसको जानने के बाद आपको भी गर्व महसूस होगा।
10 Historical Forts In India: भारत के 10 सबसे बड़े और ऐतिहासिक क़िले
1. चित्तौड़गढ़ किला
10 Historical Forts In India भारत के प्रमुख किलों में से एक जो पहले स्थान पर आता है। शक्ति,भक्ति, त्याग और बलिदान की पावन नगरी, चित्तौड़गढ़। शक्ति के लिए जाने जाते हैं महाराणा प्रताप, भक्ति के लिए मीराबाई, त्याग के लिए दासी पन्नाधाय और बलिदान के लिए रानी पद्मिनी जिन्हें रानी पद्मावती भी कहा जाता है।
जिन्होंने 16000 दासियों के साथ मेवाड़ की आन, बान और शान बचाने के लिए जौहर कुंड में कूदकर खुद को जिंदा जला लिया था। चित्तौड़गढ़ का किला पूरे भारत का ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़ा किला है और इसमें 113 मंदिर, 84 पानी के कुंड और कई ऐतिहासिक इमारतें भी हैं। चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास, इसकी बनावट, संस्कृति और वास्तुकला इतनी अद्भुत है की की हर साल दूर-दूर से पर्यटक इसे देखने के लिए आते हैं।
2. आमेर किला
राजस्थान के राजधानी जयपुर का आमेर किला, भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में काफी प्रसिद्ध है अरावली की ऊंची पहाड़ियों से घिरा हुआ यह किला राजस्थान के कला और संस्कृति का एक अद्भुत उदाहरण है। कच्छवाहा राजपूत राजा मानसिंह प्रथम ने 1589 में इस किले की नीम रखी थी और फिर उनके उत्तराधिकारी राजा लोग इसके लिए का विस्तार और नवीनीकरण करवाते रहें।
जयपुर शहर को बसने वाले महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के शासनकाल में यानी की 1727 में यह किला बनकर पूरा तैयार हो गया था। सुरक्षा की दृष्टि से उसे जमाने में इस किले के चारों ओर 12 किलोमीटर लंबे सुरक्षा दीवार बनाए गए हैं। यही नहीं आमेर किले से जयगढ़ किले तक जाने के लिए डेढ़ किलोमीटर लंबी गुप्त सुरंग का निर्माण करवाया गया था।
यहां की एक-एक चीज बहुत ही मजबूती से बनाई गई है फिर चाहे वह यहां पर बने हुए सागौन की लकड़ी के दरवाजे हो उन में लगे हुए बड़े-बड़े ताले हो या फिर यहां बने हुए खूबसूरत महल उसे जमाने में यहां पानी गर्म करने की ऐसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता था जिसकी आज भी हम कल्पना नहीं कर सकते।
और यहां सब्जियों का इस्तेमाल करके बनाए गए चित्र आपको इतनी सुंदर लगेंगे कि आप इनको देखते ही रह जाएंगे इसके लिए मैं बना शीश महल भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा और खूबसूरत शीश महल है। जब यहां पर मसालें जलाए जाते थे तब इन रंग-बिरंगे शीशे पर रोशनी पढ़ने से यह पूरा शीश महल जगमगा उठता था और जो नजारा होता था वह देखने लायक होता था।
3. मेहरानगढ़ किला
10 Historical Forts In India राजस्थान के जोधपुर शहर में बसा महरानगढ़ किला भारत के सबसे भव्य और ऐतिहासिक किलों में से एक है। 15 वे शताब्दी में राठौड़ वंश के सूर्यवंशी महाराजा राव जोधा द्वारा बनाए गए इस किले का हर भाग राजस्थानी कला और संस्कृति को बखूबी दर्शाता है फिर चाहे वह जोधपुरी पत्थरों का इस्तेमाल करके बनाए गए यहां के सुंदर झरोखे हो, जलियां हो, यहां के विशाल दरवाजे हो या फिर यहां के खूबसूरत महल।
ऐसा कहा जाता है कि यहां बने शीश महल में अगर एक मोमबत्ती भी जलाई जाती थी तो ऐसा उजाला हो जाता था। मानो की यहां पर हजारों मोमबत्तियां जलाई गई हो।
400 फुट की ऊंचाई पर बना यह किला लगभग 10 किलोमीटर लंबे सुरक्षा दीवार से घिरा हुआ है जिसकी ऊंचाई 20 से 50 फिट की है। इतना ही नहीं इस किले के परिसर में पांच अलग-अलग जगह पर आपको पर्शियन व्हील भी देखने को मिलता है। जिसका उपयोग करके उस जमाने में यहां पानी चढ़ाया जाया करता था।
इस किले में जोधपुर और जयपुर के बीच सन 1808 में हुए युद्ध के प्रमाण आज भी यहां के डेढ़ कांगड़ा पोल और उसके पास की दीवारों पर देखे जा सकते हैं। बताया जाता है कि मेहरानगढ़ किले को एक संत ने श्राप दिया था कि इस जगह पर हमेशा पानी की कमी रहेगी और इस श्राप की मार आज भी इस किले के आसपास के लोग झेल रहे हैं।
4. कुंभलगढ़ किला
राजस्थान के राज समंद जिले में बसा हुआ 600 साल पुराना कुंभलगढ़ किला भारत के सबसे विशाल और ऐतिहासिक किलो में से एक है। समुद्री तल से 1100 की ऊंचाई पर बसा हुआ यह भव्य किला राजस्थान में स्थित सारे किलो सबसे ऊंचाई पर बना हुआ है।
ज्यादा जानकारी के लिए पोस्ट को पढ़ें : Kumbhalgarh Fort Facts: कुम्भलगढ़ फोर्ट के ऱोचक फ़ैक्ट्स
5. ग्वालियर किला
10 Historical Forts In India मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित ग्वालियर किले का निर्माण आठवीं शताब्दी में सूर्यसेन नामक एक स्थानीय सरदार ने किया था जो इस किले से 12 किलोमीटर दूर सिहोनिया गांव का रहने वाला था तीन वर्ग किलोमीटर के दायरे में पहले इस किले की ऊंचाई 35 फिट है।
ग्वालियर किला 1,000 वर्षों से अधिक के समृद्ध इतिहास को समेटे हुए है। बलुआ पत्थर की पहाड़ी पर निर्मित, यह प्रभावशाली मध्ययुगीन भारतीय वास्तुकला को प्रदर्शित करता है। किले के भीतर उल्लेखनीय संरचनाओं में मान सिंह महल, गुजरी महल (अब एक पुरातत्व संग्रहालय), सास बहू मंदिर और तेली का मंदिर शामिल हैं।
इसमें तानसेन महल और जहांगीर महल भी हैं। किले की रणनीतिक स्थिति ने विभिन्न लड़ाइयों और घेराबंदी में इसके महत्व में योगदान दिया। आज, यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है जो अपने ऐतिहासिक महत्व, स्थापत्य सौंदर्य और मनोरम दृश्यों के लिए जाना जाता है।
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6. जैसलमेर किला
10 Historical Forts In India जैसलमेर किला, जिसे सोनार किला या स्वर्ण किला भी कहा जाता है, भारत के राजस्थान के जैसलमेर शहर में स्थित है। 1156 ई. में राव जैसल द्वारा निर्मित, यह किला एक वास्तुकला का चमत्कार है जो पूरी तरह से पीले बलुआ पत्थर से बना है, जो इसे एक सुनहरा रंग देता है।
यह विश्व स्तर पर सबसे बड़े पूर्णतः संरक्षित गढ़वाले शहरों में से एक है, जो रेगिस्तान से 250 फीट ऊपर है। इसकी दीवारों के भीतर महल, मंदिर, हवेलियाँ और चार भव्य प्रवेश द्वार हैं: गणेश पोल, सूरज पोल, भूत पोल और हवा पोल। 2013 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त यह किला एक जीवित समुदाय है, जिसके भीतर एक हलचल भरी आबादी रहती है।
पर्यटक इसकी संकरी गलियों, जीवंत बाजारों का पता लगा सकते हैं और थार रेगिस्तान के मनोरम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। संरक्षण चुनौतियों के बावजूद, इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित करने के प्रयास जारी हैं। जैसलमेर किला राजस्थान की समृद्ध विरासत का प्रतीक बना हुआ है और दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है।
7. लाल किला
लाल बलुआ पत्थर से बना दिल्ली का लाल किला न सिर्फ बादशाहो का राजनीतिक केंद्र हुआ करता था बल्कि यह एक ऐसी इमारत थी जिस पर मुगल शासकों का 200 साल तक राज था। मुगल बादशाह शाहजहां ने इस किले का निर्माण करने के लिए उस्ताद अहमद लाहौरी को चुना था जो की ताजमहल के भी आर्किटेक्ट थे।
50 एकड़ में फैला हुआ यह भव्य किला मुगल राजशाही और अंग्रेजों के खिलाफ गहरी संघर्ष की दास्तां बयां करता है। लाल किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में शाहजहां के महल के रूप में कराया गया था और इसे तब बनवाया गया था जब उन्होंने इस जगह को राजधानी के रूप में इस्तेमाल किया था। जब मुगल बादशाह शाहजहां ने इसके लिए पर शासन किया तब इस जगह को शाहजहानाबाद के नाम से जाना जाता था।
10 Historical Forts In India: शाहजहां के इस किले पर शासन करने के बाद जब औरंगजेब ने मुगल राजवंशी की गद्दी संभाली, तब लाल किला अपने चमक खोने लगा था। 1793 में एक फारसी सम्राट नादिर शाह ने लाल किले पर कब्जा कर लिया और किले से कई मूल्यवान संपत्ति छीन ली।
मराठों ने सोलहवे मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय को हराया और दिल्ली पर 20 वर्षों तक राज किया बाद में शाह आलम को अंग्रेजों ने हरा दिया और कोहिनूर हीरे सहित सभी मूल्यवान संपत्ति किले के अंदर रखी थी वह छीन लिए। अंग्रेजों ने बहादुर शाह जफर का मुकुट, शाहजहां का शराब का प्याला, और भी बहुत कुछ कीमती सामानों को लूटकर ब्रिटेन भेज दिया लाल किला स्मारक कभी एक शानदार संरचना हुआ करता था जो कीमती पत्थरों और धातुओं से बनाया गया था।
8. आगरा का किला
भारत के उत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना नदी के तट पर स्थित आगरा का किला सिर्फ एक किला नहीं है; यह साम्राज्यों के उत्थान और पतन का जीवंत इतिहास है। इसकी लाल रंग की बलुआ पत्थर की दीवारें, नीले आकाश के सामने गर्व से उठती हुई, मुगल वंश की भव्यता और अशांत इतिहास की कहानियाँ सुनाती हैं।
1565 में सम्राट अकबर द्वारा शुरू की गई और बाद के शासकों द्वारा विस्तारित की गई यह वास्तुशिल्प उत्कृष्ट कृति, केवल एक किला नहीं है, बल्कि एक महलनुमा परिसर है जो सदियों से मुगल शक्ति के केंद्र के रूप में कार्य करता है। इसका डिज़ाइन, इस्लामी, फ़ारसी और हिंदू प्रभावों का मिश्रण, साम्राज्य के बहुसांस्कृतिक लोकाचार और अद्वितीय समृद्धि को दर्शाता है।
इसके दायरे में बेहिसाब खजाना छिपा है: शाही जहांगीर महल, जहां सम्राट भव्य वैभव के साथ गणमान्य व्यक्तियों का मनोरंजन करते थे; अलौकिक शीश महल, जहां प्रतिबिंबित मोज़ेक प्रकाश के साथ नृत्य करते हैं; और पवित्र दीवान-ए-खास और दीवान-ए-आम, हॉल जहां सम्राट न्याय करते थे और दरबार लगाते थे।
फिर भी, आगरा किले का आकर्षण इसकी स्थापत्य भव्यता से कहीं आगे तक फैला हुआ है। यह एक ऐसा मंच है जहां इतिहास के सबसे नाटकीय दृश्य सामने आए – शाहजहाँ और मुमताज महल की प्रेम कहानी, शाहजहाँ को उसके बेटे औरंगजेब द्वारा दुखद कारावास, और साम्राज्य का अंततः पतन।
इसकी प्राचीर के ऊपर स्थित, कोई भी मनोरम दृश्य से मंत्रमुग्ध हो सकता है – ताज महल का एक मनमोहक दृश्य, शाश्वत प्रेम का प्रमाण, दूरी में चमकता हुआ, एक अलौकिक दृश्य जो समय और स्थान को पार करता है।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त, आगरा किला केवल अतीत का अवशेष नहीं है; यह एक जीवंत विरासत है, लचीलेपन और सहनशक्ति का प्रतीक है, जो आगंतुकों को इसके गौरवशाली अतीत में जाने और इसकी प्रतिष्ठित दीवारों के बीच इतिहास को जीवंत होते देखने के लिए आमंत्रित करता है।
9. जूनागढ़ किला
भारत के राजस्थान के बीकानेर में स्थित जूनागढ़ किला एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। मूल रूप से इसे चिंतामणि किला कहा जाता था, इसे इसका वर्तमान नाम 20वीं शताब्दी में मिला जब शासक परिवार बाहर चला गया। राजस्थान के कई किलों के विपरीत, जूनागढ़ किसी पहाड़ी पर नहीं बल्कि समतल जमीन पर है।
इसका निर्माण 16वीं शताब्दी के अंत में राजा राय सिंह के प्रधान मंत्री करण चंद के अधीन शुरू हुआ। यह 1594 में पूरा हुआ, जिसमें 5.28 हेक्टेयर से अधिक महल, मंदिर और मंडप शामिल थे।
हमलों का सामना करने के बावजूद, जिसमें 1534 में कामरान मिर्ज़ा का एक संक्षिप्त कब्ज़ा भी शामिल था, किला अविजित रहा। इसकी वास्तुकला शैलियों के मिश्रण को दर्शाती है, जो बीकानेर के इतिहास पर विविध प्रभावों को दर्शाती है।
10 Historical Forts In India आज जूनागढ़ किला सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल ही नहीं बल्कि बीकानेर की संस्कृति का जीवंत हिस्सा भी है। यह शहर की विरासत के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जो आगंतुकों को इसके समृद्ध अतीत और स्थापत्य सुंदरता का पता लगाने के लिए आमंत्रित करता है।
10. झाँसी किला
झाँसी किला, जिसे झाँसी का किला भी कहा जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश में बंगीरा नामक पहाड़ी पर गर्व से खड़ा है। यह दुर्जेय किला सदियों के इतिहास का गवाह है, जो 11वीं से 17वीं शताब्दी तक बलवंत नगर (अब झाँसी) में चंदेल राजाओं के गढ़ के रूप में कार्यरत था।
रणनीतिक रूप से झाँसी शहर के मध्य में स्थित, किला आसानी से पहुँचा जा सकता है, झाँसी रेलवे स्टेशन से केवल 3 किमी दूर है और झाँसी संग्रहालय बस स्टॉप द्वारा पहुँचा जा सकता है। इसके निर्माण का श्रेय 1613 में बुंदेला राजपूत प्रमुख और ओरछा साम्राज्य के शासक वीर सिंह देव बुंदेला को दिया जाता है।
इन वर्षों में, किले ने विभिन्न शासकों और अशांति के दौर देखे। इसने 1857 के भारतीय विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई के नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिन्होंने ब्रिटिश सेनाओं के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। 1858 में जनरल ह्यू रोज़ की सेना द्वारा घेर लिए जाने के बावजूद, रानी लक्ष्मीबाई घोड़े पर सवार होकर भागने में सफल रहीं।
1861 में, ब्रिटिश सरकार ने ग्वालियर किले के बदले में झाँसी किला और शहर ग्वालियर के महाराजा जयाजीराव सिंधिया को सौंप दिया। हालाँकि, 1886 में, अंग्रेजों ने झाँसी को ग्वालियर राज्य से पुनः प्राप्त कर लिया।
आज, झाँसी किला साहस और लचीलेपन के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व (10 Historical Forts In India)और स्थापत्य भव्यता को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह भारत के समृद्ध अतीत और स्वतंत्रता के लिए यहां के लोगों के वीरतापूर्ण संघर्षों की गौरवपूर्ण याद दिलाता है।
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Facts About World’s Largest Antarctica Desert: दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान से जुड़े कुछ अद्भुत रहस्य।
Facts About World’s Largest Antarctica Desert: क्या आपको पता है कि अंटार्कटिका जिसे आमतौर पर बर्फ की भूमि के नाम से जाना जाता है वह वास्तव में एक विशाल रेगिस्तान है।
जी हां, आपने सही सुना अंटार्कटिका दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है जिसमें कई अद्भुत और अनोखे तथ्य छुपे हैं। आज हम आपको दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान अंटार्कटिका से जुड़े 5 अद्भुत रहस्य बताएंगे जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
Facts About World’s Largest Antarctica Desert: दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान, अंटार्कटिका से जुड़े 5 अद्भुत रहस्य
1.दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान
अंटार्कटिका रेगिस्तान को आमतौर पर बर्फ की वजह से केवल एक बर्फीला क्षेत्र माना जाता है, लेकिन असल में यह दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। रेगिस्तान की परिभाषा के अनुसार, यह एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां बहुत कम बारिश होती है।
अंटार्कटिका में साल भर में केवल 200 मिमी से भी कम बारिश होती है, जिससे यह धरती का सबसे सूखा स्थान बन जाता है।
2.सबसे ठंडा स्थान
अंटार्कटिका रेगिस्तान धरती का सबसे ठंडा स्थान है। यहां अब तक का सबसे कम तापमान माइनस 128.6 डिग्री फारेनहाइट (माइनस 89.2 डिग्री सेल्सियस) दर्ज किया गया है, जो 21 जुलाई 1983 को वॉस्टोक स्टेशन पर मापा गया था।
इतनी कड़कड़ाती ठंड में जीवन का अस्तित्व मुश्किल हो जाता है, फिर भी कुछ विशेष जीव-जंतु और वनस्पतियाँ यहां जीवित रह पाती हैं।
3.अनोखी झीलें
अंटार्कटिका में कई अनोखी झीलें हैं, जो बर्फ के नीचे छिपी हुई हैं। सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक वॉस्टोक झील है, जो लगभग 4 किलोमीटर बर्फ की परत के नीचे स्थित है।
यह झील हजारों सालों से अलग-थलग है और वैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें अनोखे और प्राचीन जीवों का अस्तित्व हो सकता है, जो दुनिया के अन्य हिस्सों में नहीं पाए जाते।
4.सक्रिय ज्वालामुखी
अंटार्कटिका बर्फ से ढका हुआ है, लेकिन यहां पर सक्रिय ज्वालामुखी भी हैं। सबसे प्रसिद्ध ज्वालामुखी माउंट एरेबस है, जो दुनिया का सबसे दक्षिणी सक्रिय ज्वालामुखी है। माउंट एरेबस में एक लावा झील भी है, जो इसको और भी रोमांचक बनाती है।
5.अद्वितीय जीव-जंतु
अंटार्कटिका रेगिस्तान में कई अद्वितीय जीव-जंतु पाए जाते हैं, जो कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रहते हैं। यहां की सबसे प्रसिद्ध प्रजातियों में से एक है अडेली पेंगुइन, जो ठंड और बर्फीली हवाओं में भी जीवित रहने की क्षमता रखती है। इसके अलावा, वाडेल सील और अंटार्कटिक क्रिल भी यहां के महत्वपूर्ण जीव हैं, जो समुद्री जीवन का हिस्सा हैं।
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7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: जानिए नवरात्रि के छठे दिन पूजी जाने वाली मां कात्यायनी के रूप से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: आज नवरात्रि का छठा दिन है और आज देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। आपको बता दे देवी कात्यायनी नवदुर्गा के छठे स्वरूप में पूजनीय है। मान्यता के अनुसार मां दुर्गा ने यह रूप अपने परम भक्त ऋषि कात्यायन के लिए धारण किया था।
मां दुर्गा का छठा अवतार मानी जाने वाली माता कात्यायनी अत्यंत दिव्य और बलशाली मानी जाती है। आज हम आपको नवदुर्गा के छठे रूप देवी कात्यायनी के बारे में सात रोचक तथ्य बताएंगे, जो आपको माता कात्यायनी के महिमा से परिचित कराएंगे।
7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: मां कात्यायनी के रूप से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
1.माता कात्यायनी की उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता कात्यायनी देवी दुर्गा के छठे रूप में पूजी जाती हैं। कहां जाता है माता कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के तप से हुआ था।
ऋषि कात्यायन ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था तब देवी ने ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लिया था। कहा जाता है की देवी का नाम ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने से उनका नाम देवी कात्यायनी पड़ा।
2.माता कात्यायनी का रूप
माता कात्यायनी चारभुजा वाली देवी है जिनका स्वरूप अत्यंत दिव्य और प्रभावशाली है। उनकी चार भुजाएं हैं जो शक्ति और संकल्प का प्रतीक मानी जाती हैं। इन चारभुजा में माता कात्यायनी तलवार, कमल, अभयमुद्रा और वरमुद्रा को धारण करती हैं।
देवी कात्यायनी द्वारा उनके चारों भुजाओं में धारण किए गए वस्तुओं का महत्व कुछ इस प्रकार से है-
तलवार- मां कात्यायनी की एक भुजा में तलवार होती है जो बुराई और अधर्म को नाश करने वाली है। तलवार देवी कात्यायनी के शक्ति और साहस का प्रतीक है।
कमल- माता कात्यायनी अपनी दूसरी भुजा में कमल धारण करती है जो उनकी कोमलता और दिव्यता को दर्शाता है और यह शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
अभयमुद्रा- देवी कात्यायनी की तीसरी भुजा में अभय मुद्रा होती है जिससे मां कात्यानी अपने भक्तों को हर प्रकार के डर और संकट से मुक्त करती हैं। अभय मुद्रा सुरक्षा और निडरता का प्रतीक माना जाता है।
वरमुद्रा- चौथी भुजा में माता कात्यायनी वर मुद्रा को धारण करती हैं जिससे वे भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने का आशीर्वाद देती है और ये मां की दयालुता और करुणा का प्रतीक है।
3.महिषासुर मर्दिनी
देवी कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने महिषासुर राक्षस का वध करने के लिए ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लिया था।
कथाओं के अनुसार माता कात्यायनी ने महिषासुर राक्षस का वध करके देवताओं को संकट से मुक्त किया था इसलिए उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।
4.नवदुर्गा का छठा अवतार।
मां कात्यायनी को नवदुर्गा का छठा अवतार माना जाता है और नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है जिसका नवरात्रि के दिनों में बहुत ही विशेष महत्व होता है।
मां कात्यायनी को नवदुर्गा का अत्यंत दिव्य और बलशाली रूप माना जाता है जो नवदुर्गा के नौ रूपों के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं।
5.ऋषि कन्या
देवी कात्यानी को ऋषि कन्या के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने ऋषि कात्यायन के पुत्री के रूप में जन्म लिया था। कहा जाता है की मां कात्यायनी की पूजा करने से अविवाहित कन्याओं को योग्यवर मिलता है इसलिए नवरात्रि में मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व होता है।
6.वेदों और शास्त्रों में उल्लेख।
माना जाता है की देवी कात्यायनी का उल्लेख प्राचीन हिंदू शास्त्रों जैसे वेदों और पुराणों में किया गया है। मान्यताओं के अनुसार मार्कंडेय पुराण के देवी के महात्म्य खंड में देवी कात्यानी द्वारा दुष्ट राक्षसों का वध करने का वर्णन सामने आता है।
7.मंत्र और पूजा।
देवी कात्यायनी नवदुर्गा के साहस और दिव्यता का प्रतीक मानी जाती हैं जिनकी पूजा नवरात्रि के दिनों में बहुत विशेष महत्व रखता है।
भक्तगण यदि नवरात्रि के छठे दिन में माता कात्यायनी के बलशाली मंत्र “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” का जाप करते हैं तो उन्हें माता कात्यायनी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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